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Sanatan Das

Inspirational

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Sanatan Das

Inspirational

नारी : एक में अनेक

नारी : एक में अनेक

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नारी एक मे अनेक हे,

सब रिश्ते में नेक हे,

सृष्टि का आरंभ ही उनसे

माँ, बेटी , बहन और पत्नी

सब रिश्तों की पहचान हे..!!


जन्म लेते हे हम मां की कोख से,

दुनिया देखती है उसकी आंचल से,

कैसे दूर जाऊं उसे,

जो में बंधा हूं उसकी ममता से..!!


बेटी जो बो बबूल की परी होती हे,

पापा का प्यार और भाई की दुलारी होती है,

राखी के बंधन से जोड़ लिया रिश्ते,

कैसे उसे हम भूल सकते हे..?


पत्नी होती हे घरकी लक्ष्मी,

पति की वो अर्धांगिनी,

घर की संभालती हे

सबको प्यार की रशी से

एक करके रखती हे..!!


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