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Saurabh Gupta

Abstract Drama

4.8  

Saurabh Gupta

Abstract Drama

नानी माँ

नानी माँ

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477


बहुत अच्छी थी वो,

दिल की बेहद सच्ची थी वो,

रखती थी वो सबका खयाल यूं,

बिन सोचे, बिन पूछे ये सवाल, क्यूँ।


मुस्कुराहट तेरी मासूम सी थी,

आहट तेरी ना मालूम सी थी,

चाहत तेरी भी खूब थी नानी मां,

मजबूर थी तू, पर हम सबसे मजबूत थी।


याद आ रहा है, मेरा तेरे पास आना,

याद आ रहा है, तेरा मुझे प्यार से गले लगाना, 

तेरा मेरे मन्न चाहे पकवान बनाना,

और फिर तेरी गोदी में

मेरा सिर रखकर सो जाना।


याद आ रहा है तेरा मेरे साथ खेलना,

और सबको मिलकर हराना,

याद आ रहा है तेरा मुझे मम्मी की डांट से बचाना,

तेरी बातें सुनना, तेरा वो प्यार से समझाना,

खुश होकर तेरा छुप के से रोना और

पूछने

पर तेरा वो बहाना।


जाते जाते भी सबका खयाल तूने रखा,

दर्द देखे बहुत तूने, पर कोई सवाल ना रखा,

ना इलाज करवाने का तेरा वो फैसला, तेरा वो हौसला,

नमन है तुझे, खुद से पहले तूने विचार सबका रखा ।


खुशनसीब हूं कि तेरे साथ कुछ वक़्त बिता पाया,

बदनसीब भी हूं कि तेरे साथ इतना ही वक़्त बिता पाया,

नाराज़ हूं खुद से, तेरे लिए कुछ कर ना पाया,

एक अच्छा नाती होने का फ़र्ज़ निभा ना पाया ।


आज तू साथ नहीं है, एक साल होने को है,

मेरी आँखें भी तेरी याद में नम होने को है,

लिखने को तो बहुत है मेरे पास,

पर बयान कर सकूँ ऐसे अल्फ़ाज़ है कम,

अगर मिला जन्म दोबारा, तो मन्न मेरा,

तेरा ही नाती होने को है ।



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