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Akash Kumar

Abstract

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Akash Kumar

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मुझे तो प्यार से ही प्यार होता

मुझे तो प्यार से ही प्यार होता

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मुझे तो प्यार से ही प्यार होता है

कहते हैं लोग, 

दोबारा प्यार नहीं हो सकता,

मुझे तो शिद्दत से हर बार होता है,

क्योंकि प्यार तो प्यार से होता है।


इस बदले अंदाज़ पर नाज़ अब होता है,

मुझे तो प्यार से ही प्यार होता है।


उनसे मेरा राब्ता यू मान लेता हूं ,अब

जब कभी वो शबनमी सा शरर फिर से होता है 

क्योंकि प्यार तो प्यार से होता है।


हर दफा नए किरदार से 

नए जज्बात निकाल लेता हूं, 

कोई सिखा पागलपन मुझे, 

कोई समझदार बना चला जाता है।

फिर थोड़ा उनको ख़ुद में संवारना होता है,

क्योंकि प्यार तो प्यार से होता है।


ताना-तानी या छेड़-खानी 

और देर तलक की ये बातें सारी,

भोर शाम की अब खबर किसी है।

इन लम्हों को समेटना होता है , 

पागल इस दिल को दिरार इन्हीं का रहता है,

क्योंकि प्यार तो प्यार से होता है।


बेबाकी से खुद को परोसना सीखा है।

टूट जाने का ज़िक्र नहीं 

अब बदनामी की फ़िक्र नहीं,

साफ सुथरा हो,

फिर उसी गली गुजरना होता है, 

क्योंकि प्यार तो प्यार से होता है।


खुद को उनमें झांका नहीं,

खुदी में तलाशना होता है।

अनमोल आशना नहीं, 

खूबसूरत अहसास ही तो होता है,

क्योंकि प्यार तो प्यार से होता है।


मैं ही क्यों और तुम कब

इस आज़ार में ना रहना है,

मैं और तुम को हम समझना होता है।

फिर रहना उनका , जाना उनका 

इकरार मुझे सब होता है,

क्योंकि मुझे तो बस प्यार से ही प्यार होता है।


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