चित्र से चरित्र
चित्र से चरित्र
ये चित्र भी विचित्र है,
ये दिखा रहा चरित्र है
मैं श्याम भी, हूँ श्वेत भी
कठोर भी मैं और रेत भी
मैं शून्य भी, हूँ अनंत भी
चोर भी मैं और संत भी
मैं गीत भी, हूँ विलाप भी
शीत भी मैं और ताप भी
मैं सूक्ष्म भी, हूँ विराट भी
दीन भी मैं और सम्राट भी
मैं तेज भी, हूँ अंधकार भी
रहस्य भी मैं और आविष्कार भी
ये चित्र भी विचित्र है,
ये दिखा रहा चरित्र है ।
