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Shravya Awasthi

Abstract

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Shravya Awasthi

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मॉं

मॉं

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खिला -पिला कर बड़ा करे,

बना दे नौ-जवान।

कभी प्यार करे तो,

कभी डाॅंट लगाए।


हाॅं यही तो है माॅं।


वह शिक्षा दिलाए,

और रिश्ते संमझाए।

ऊॅंगली पकड़,

हमें चलना सिखाए।


हाॅं यही है मेरी माॅं।


जो हम चाहें वह देदे,

भूल कर खुद की जरूरतों को।

वह ना हो तो जीना मुश्किल,

हो पूरे जहां को।


हाॅं यही तो है माॅं।


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