महफिल
महफिल
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मस्ती वाली
महफिल
जब लगती है
लोगों के भीड़ में
भौतिक आनंद
खूब दिखता है
नाच गाने
शराब सबाब
लेकिन
यह आनंद
क्षण भंगुर
होता है
एकाकी में
खुद से ही
खुद को
जब आंतरिक
और आध्यात्मिक
आनंद प्राप्त
हो जाए
वो स्थाई होता है
उसे हम
परमानंद कहते है