महिला
महिला
अपने निजी कष्टों को दुनिया से छिपाती है,
जन्म से सिर्फ अपने फर्ज़ निभाती है,
पहले अपने परिवार को संभालती है
फिर किसी के घर को सँवारती है,
किसी के सपनों को वो अपनाती है
और फिर उन्हें वो सजाती है,
अपने स्वार्थ का ना उसकी ज़िन्दगी मे कोई स्थान है,
क्यों की उसका ओहदा ही इतना महान है,
जो जन्म देता है वही अगर भगवान है,
तो मां के रूप में बहुत अवतारों को देख चुका ये जहान है,
चाहे मां, बहन, दोस्त किसी भी रूप मे मै जब हूं इनसे मिला,
तो सिर्फ प्यार, निस्वार्थ, हिम्मत ही देती है हर महिला।
