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मेरी चिता पे

मेरी चिता पे

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जाने दो अब
अब जल जाने दो
राख हो जाने दो
अब सो जाने दो

मेरी चिता पे
मेरे शरीर का दाम हर कोई लगा रहा
जिसकी हिफाज़त में ज़िन्दगी निकल गयी
आज हर कोई उसका दाम लगा रहा

डोम कहता 50 हज़ार
फलना के नाम पर
घर वाले भी मोल लेते
2 हज़ार ठीक है भाई
हम अक्सर आते है यहाँ
कुछ तो कम कर

वो ज्यादा करते ये कम करते
कितना ज्यादा है कितना सही
ये किस बेसिस पे तय करते

अरे मेरा पैसा था
क्यों बचा रहे हो
अरे मेरा पैसा था
क्यों उड़ा रहे हो

मुझे आग दोगे मेरे ही पैसे से
भाई ये क्या कर रहे हो
क्यों कमाये ये पैसे
जो अब मुझे आग में धकेले
न तन पे महँगे कपड़े
न हाथों में घड़ी
ये ऐसा वक़्त है जहाँ
किसी ने हमारी एक न सुनी

सिकुड़ रहा था जब
मेरे हिस्से का मेरा अंग
गिरे जा रहे थे
मुझे जला मेरे घर वाले
दूर से ही हाथ जोड़ खड़े थे


जाने दो अब
अब जल जाने दो
राख हो जाने दो
अब सो जाने दो

नया जन्म लूंगा, उठूंगा जहाँ
किसी की गोद में रोऊंगा,
खिलखिलाऊंगा वहां
खुशियों की महफ़िल लगाऊंगा,
लोगों को बुलाऊंगा

ठहर जाओ
रुक जाओ
न मेरा दाम लगाओ
सोने दो बस
राख होने दो


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