मेरी बिटिया
मेरी बिटिया
मेरी प्यारी बिटिया, हो चुकी हो तुम परिपक्व।
बेशक, कर सकती हो अपने हर फैसले अब।।
लेकिन एक बात अपनी माँ की भी याद रखना।
देकर धक्का दूसरों को, न कभी आगे बढ़ना।
लेकर सहारा किसी का,न बुलंदी पर चढ़ना।
खुद अपने आत्मबल पर अपनी पहचान बनाना।
सही राह पर चल कर सदा मंजिल तक जाना।
चाहे कितनी अड़चनें आए, हौसला बरकरार रहे।
हर परिस्थिति के लिए, तेरा मनोमस्तिष्क तैयार रहे।
यक़ीनन, सुलझा सकती हो तुम अपनी हर उलझन।
लेकिन जरूरत पड़ी तो,हम हैं ना तेरे संग हरदम।
मेरी दुआ है तुम करो, यूं ही हमेशा हर दिल पर राज़।
कोई कभी भी ना हो, किसी बात पर तुमसे नाराज़।
तुम्हारे सर पर सदा रहे, सफलता का चमकता ताज़।
बनना ऐसी की मुझे ही नहीं, हर एक करे तुझपे नाज़।
