मेरे सम्मान की लड़ाई
मेरे सम्मान की लड़ाई
आज बैठे-बैठे आंखें
नम हो गई
क्या मेरी इज्जत
फिर से कम हो गई ?
ना जाने मेरा सम्मान,
कहां खो गया?
क्या वह किसी के सामने,
चकना-चूर हो गया ?
क्या मेरे सम्मान का सफर,
यही तक था ?
क्या मेरे सम्मान की लड़ाई,
चालू होती ही खत्म हो गई ?
नहीं, यह तो सिर्फ एक छोटी सी,
शुरुआत है
यह तो मेरे सम्मान की लड़ाई ,
की पहली सीढ़ी है
रोज ऐसे ही, मैं मेरे सम्मान,
एक नई सीढ़ी चढूँगी
और खुद को दूसरों की,
आंखों में उठाऊंगी
क्योंकि, यह सिर्फ मेरा ही नहीं,
बल्कि हर,
नारी का सफर है
उसके सम्मान की ओर।