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Navindra Swarup

Inspirational Others

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Navindra Swarup

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मेरा सपना

मेरा सपना

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कल रात मेरे सपने में

एक बंदर आया

मेरी लापरवाही पर मुस्काया

बोला अरे नवीन

क्या चादर तान कर पड़ा है

शिक्षा विभाग में आ गया

समझा है दुनिया पर छा गया।

मेरी बिरादरी को देख

राजनीति में छाई है

कई पीढ़ियां बैठकर खाएंगी

इतनी कमाई है।


अरे यहां तो घिसता रहेगा पिसता रहेगा

फिर भी दाल रोटी ही पाएगा

मेरी मान राजनीति में आजा

पावर की पावर है पैसा भी कमाएगा

और शाम को चिकन तन्दूरी भी उड़ाएगा।

इतने विभाग पड़ थे

तुझे इसी में आना था

अरे अब तो पशुपालन विभाग के रेट भी

दूरसंचार से हाई हैं

गोबर उठाने वाले के भी गले में टाई है ।

बस तेरे जीवन का यही एचीवमेंट है

किसी पुराने अध्यापक को देख ले

ना ढंग का जूता है ना ढंग की पैंट है।

और मेरे पास पैसा है बंगला है कई गाड़ियां हैं

मेरी बंदरिया के पास भी दस हजार साड़ियां हैं।


बंदर की इन बातों ने मुझे बहुत ललचाया

दिमाग में टेंशन और मन में द्वंद्व जगाया

अभी सोच ही रहा था

किसी निर्णय पर पहुंच ही रहा था

तभी मेरा सपना टूट गया

छत पर बंदरों का शोर सुनाई दिया ‌‌‌‌‌‌‌‌

जिज्ञासा वश बाहर आया

तो एक बंदर को बिजली के तार से लटका पाया।

उसकी आंखें बाहर बदन जलकर काला था

मैं बहुत डर गया था

क्यों कि वह बंदर मर गया था

और उसकी बिरादरी चुन रही थी नये मुखिया को

जो पैसा बनाए और बनवाए

लेकिन कभी पकड़ा ना जाए

कभी पकड़ा ना जाए।


 


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