मेरा नृत्यांगना बनने का सपना
मेरा नृत्यांगना बनने का सपना
आओ दोस्तों तुमको कहानी सुनाऊं
थोड़ी अपनी आपबीती सुनाऊं ।
छोटे थे हम बच्चे थे मगर सपने हमारे सच्चे थे।
सोचते थे कभी-कभी हम भी नृत्य करेंगे।
मगर अपने थुल थुल बदन पर कभी ना देखा कभी ना देखा।
बस सपने नृत्य के देखते कोशिश करते।
कभी ना हम कामयाब होते।
तब अपने पर गुस्सा आता।
सोचते कितने अच्छे होते अगर हम भी करते होते नृत्य।
बापू नगर विकास समिति के प्रोग्राम में हम भी हमारा जलवा दिखाते ।
भादों अष्टमी रात अंधेरी दर्शन
जोग हुआ रे सखियों दर्शन जोग हुआ कृष्ण जन्म पर हम भी अपने जलवे दिखलाते।
मगर हाय री किस्मत जब कोई बोलता थोड़ा वजन कम करो ।
तो खाने पर कंट्रोल ना होता ।
तो डांस कहां से सीखेगे ऐसे ही करते करते हम हो गए बड़े।
और हम नंत्यागना बनते बनते रह गए।
मगर आज हैं हम खुश बहुत ,
बहुत खुश क्योंकि जो काम हम ना कर पाए वह हमारी नातिन ने कर दिखाया
कत्थक भरतनाट्यम की वह है कलाकार ।
छोटी है पर अपने हुनर में अच्छी है। समय-समय पर प्रोग्राम में भाग लेती है और इनाम जीत ती है।
चलो किसी ने तो हमारे सपना पूरा करा इसी से हम खुश हैं
अब ना कोई गम है ना मलाल
कि हम अपना सपना ना पूरा कर पाए।
जिंदगी ऐसी ही होती है
हर सपना हम कभी पूरा नहीं कर पाते हैं।
कुछ सपने सपने ही रह जाते हैं।