Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Bhagirath Parihar

Abstract

4  

Bhagirath Parihar

Abstract

मेरा होना

मेरा होना

1 min
272


उसने उतारा अपना दिमाग

रख दिया अलमारी के अन्दर

रख दी

उसने अपनी सभी लिखी पुस्तकें

अलमारी के अन्दर

सारे संबंधो को

उनकी तस्वीरों के साथ


कहा- यहीं पड़ी रहो

इसी अलमारी के अन्दर

अपनी तमाम प्रेम कहानियाँ और प्रेमपत्र

धर दिए अलमारी के अन्दर

अपेक्षाएँ, आकांक्षाएँ और

आशंकाएँ भी पटक दी अलमारी के अन्दर


कब तक ढोऊन्गा और ढोता रहूँगा

तो झाड़ ही दिया इन्हें

अपने बदन से धूल की तरह

फिर कर दी अलमारी बंद

स्वतन्त्र और बिन्दास हो,

करने लगा नाच बिना अनुशासन

उल्लसित होकर


फिर भी अलमारी में बंद चीजें

करने लगी उसे परेशान

तो वह तेजी से नाचा इतना कि स्वयं नृत्य बन गया

उसे अपने होने का भान भी नहीं रहा

कुछ होना कितना परेशान कर देता है


मात्र होना पर्याप्त है

जैसे पेड़, पहाड और नदी।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Bhagirath Parihar