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Nimmi Bisht

Abstract

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Nimmi Bisht

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मेरा अंश

मेरा अंश

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एक नन्हा बीज जो मेरा अंश है,

समाज के अनुसार ही वही मेरा वंश है।

सीन्चा मैने उसे अच्छे संस्कारों से

प्यार और दुलार से।


पौधा बनकर जब वह बढ़ने लगा,

समय के साथ सवरने लगा,

माँ का मन स्वतः ही प्रफुल्लित होने लगा,

क्योंकि नन्हा बीज पौधे से वृक्ष बनने लगा।


वृक्ष बनकर उसे हर मौसम का सामना करना था,

धूप, बारिश, हवा के तेज झौंके को झेलना था।

लेकिन वह हर मौसम में अडिग रहा

दृढ़ता से डटा रहा

सच्चाई से आगे बड़ता रहा।


राह मे जो भी मुश्किलें आई

उसे जरा भी नहीं डिगा पाई।

यही माँ के संस्कार हैं,

जो उसके जीवन में सदाबहार हैं।


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