-- मौत से पहले एक पेड़ लगाऊं -
-- मौत से पहले एक पेड़ लगाऊं -
कौन करेगा याद
कुछ ऐसा कर जाऊं
और कुछ नहीं तो
अपने हाथ से
एक दरख़्त तो लगा जाऊं
न उस पर शिलापट होगा
न उस पर कोई नाम
बस इच्छा है कुछ
ऐसा ही कर जाऊं काम
भूले भटके कोई मुसाफ़िर
आ बैठे गए छाया में
सुकूँ मुझ को मिलेगा
जब वो आह भरेगा छाया में
न जाने कितने गुनाह हो गए
जब तक रहा हूँ दुनिया में
अब जाते जाते यही कर जाऊं
वो तो नजर आएगा दुनिया में
कर्म करेंगे अच्छे
तो याद करेगी दुनिया
वर्ना तो घास फूंस की तरफ
मसल के रख देगी दुनिया