मैंने आज खुद को चुना है
मैंने आज खुद को चुना है
मैंने आज खुद को चुना है,
औरों से ज्यादा खुद को सुना है,
मैंने आज खुद को चुना है।
थक गई हूं ढूंढते ढूंढते लोगों के लिए जवाबों को,
अब निकली हूं तलाश करने मैं अपने ख्वाबों को।
फ़र्क नहीं पड़ता मुझे अब उनकी बातों से,
थक गई हूं लड़ते लड़ते अब अपने जज़्बातों से।
अब औरों के लिए जीना छोड़ रही हूं,
इन सबसे अब मैं मुंह मोड़ रही हूं।
क्यूंकि अब वक्त खुद के साथ बिताना है,
बिन कुछ सुने बस अपनी ही धुन में चलते जाना है।
जानती हूं मंजिल दूर और रास्ता पथरीला है,
पर हर पल घुट घुट कर जीना भी तो ज़हरीला है।
सब कुछ है आस–पास फिर भी कितना अकेला है,
दुनिया और कुछ नहीं बस दिखावे का मेला है।
कब तक औरों की ज़िंदगियों को देखकर
सोचूंगी की कुछ उनके जैसा पाना है,
अपनी ज़िंदगी को भी तो
औरों के लिए मिशाल बनाना है।
जो चाहा है वो सब कुछ पाना है,
हर मंज़िल पर अपना नाम लिखवाना है।
लोगों की हर बात को अनसुना कर के,
अपनी ज़िंदगी का मक़सद याद कर के।
मैं किसी के जैसी नहीं, सबसे अलग हूं,
तुम्हारी नहीं, मैं खुद की नज़र से खूबसूरत हूं।
मेहनत ही मेरी ज़िंदगी का मंत्र है,
मेरा हर विचार सुंदर और स्वतंत्र है।
सौ बार गिर कर फिर अकेले खड़े होना है,
अपने हर सपने को हकीकत का आईना दिखाना है।
वो रोकेंगे मुझे हर मोड़ पर,
पर मुझे अब पीछे नहीं मुड़ना है।
किसी और को नहीं,
किसी और को नहीं,
मुझे ये खुद को सिद्ध करना है।।
