मैं फिनिक्स हूं
मैं फिनिक्स हूं
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मैं फिनिक्स हूं हर बार राख से उठता हूं
ए सूरज तुझे पाने की जिद मैं हर बार जल जाता हूं
मैं फिनिक्स हूं हर बार राख से उठता हूं
तू कब तक मेरी पाँखो को जलाएगा एक दिन तेरा ताप भी हार जाएगा
मैं फिनिक्स हूं हर बार राख से उठता हूं
पाँखे जल रही है अब मेरी कुछ ही क्षण अब बाकी है फिर भी तुझसे कहता हूं
मैं फिनिक्स हूं हर बार राख से उठता हूं
अब तो जिद सी हो गयी है यह मेरा सफर हर बार नए जोश से उड़ता हूं
मैं फिनिक्स हूं हर बार राख से उठता हूं!