मैं ही अम्बा, मैं जगदम्बा
मैं ही अम्बा, मैं जगदम्बा
मैं ही अम्बा मैं जगदम्बा,
'नवदुर्गा' का प्रतिरूप हूँ मैं
जब जन्म ग्रहण करती हूँ मैं,
तब 'शैलपुत्री' कहलाती हूँ।
कौमार्य अवस्था होने तक,
है 'ब्रह्मचारिणी' नाम मेरा।
और विवाह से पूर्व चंद्र
सम निर्मल होने के कारण,
मेरा ही नाम चंद्रघंटा।
मैं कूष्माण्डा हूँ, नए जीव को
कोख में धारण करती हूँ
संतान के पैदा होने पर,
सब कहते मुझे स्कंदमाता।
मैं संयम रखने वाली हूँ,
मैं ही तो कात्यायनी हूँ।
पति की अकाल मृत्यु को
जिसने जीता मैं वो कालरात्रि।
सारा संसार कुटुंब मेरा,
मैं गौरी, मैं महागौरी हूँ।
संतानों को सब सिद्धि मिले,
हम माँओं की कामना यही।
वो सिद्धिदात्री भी मैं ही हूँ,
मैं अष्टमातृका योगिनी हूँ।
मैं अम्बा मैं जगदम्बा हूँ।
जब- जब देवों पर विपद पड़ी,
मैंने उनकी विपदा टाली।
मैं चण्ड मुण्ड संहारक हूँ,
मैं रक्तबीज संहारक हूँ।
आज धरा पर जगह- जगह,
भिन्नाते कितने 'रक्तबीज'
उन सबका शोणित पीकर,
अपनी प्यास बुझाने आई हूँ।
मुझको अबला कहने वालों,
तुमको चेताने आई हूँ
मैं ही दुर्गा, मैं जगदम्बा,
बस यही बताने आई हूँ
नौटंकी करना बंद करो,
हर औरत का सम्मान करो
पत्थर की मूरत पूज भले,
घर की देवी का मान करो।