संत गाडगे बाबा
संत गाडगे बाबा
कोटि नमन है श्री चरणों में,
संत गाडगे बाबा के।
परम तपस्वी मेहनतकश थे,
उद्धारक जनजीवन के।।
त्यागी सेवा भावी शिक्षा,
को हथियार बताते थे।
दीन हीन की सेवा से हरि,
मिले यही समझाते थे।
कभी दान ना लिया किसी से,
कहा दीन का दुख हरिए।
भोजन पानी बस्त्र ज्ञान दे,
जीवो के दुख को हरिए।
कम खाओ ना पहनो अच्छा,
शिक्षित निज सन्तान करो।
ज्ञान बिना जग मे अंधियारा,
ज्ञानी बन तम दूर करो।।
गांव गांव अरु नगर नगर में,
ज्ञान की ज्योति जलाई।
आडम्बर अरु रूढि व्यसन,
की खुद ही चिता जलाई।।