मै क्या चाहती हूँ..?
मै क्या चाहती हूँ..?
यह दुनिया, ऐसा गोला..
जिसमे सोच-विचार अनोखा,
कोई कहता ये करो
तो कोई दूजा कहता वो करो,
पर कोई यह तो पूछो कि मैं क्या चाहती हूँ ..?
कोई यह तो पूछो कि मेरा मन क्या कहता है..?
यह सवाल सुनने को तरस गए हैं कान मेरे,
अगर तो सवाल की राह देखने बैठ गई
तो मेरी मंज़िल तो छूट ही जाएगी,
इस सवाल से ज्यादा,
मुझे मेरी मंजिल प्यारी..
मंजिल पाने के बाद तो ,
मै ही इस सवाल का जवाब दे दूंगी
कि मै क्या चाहती हूँ..?