Ishwarvati Mourya
Inspirational
तू मंदिर मंदिर क्या भटके
तेरे मात पिता ही ईश्वर तू जो है
उनके कारण है वे सच्चे पर परमेश्वर है.
रामराज
न्यारे बापू
कलम आज उनकी ज...
कोशिश करने वा...
सब पढ़े सब बढ...
दीप उनकी कब्र...
रानी लक्ष्मीब...
मेहनत
माता -पिता
अध्यापक
पल पल करके गुज़र जाती है ज़िन्दगी रेत फिसल जाती है जैसे हाथों से. पल पल करके गुज़र जाती है ज़िन्दगी रेत फिसल जाती है जैसे हाथों से.
शिक्षक होता शीतल नीर समान। देता हमें जीवन जीने का ज्ञान । शिक्षक होता शीतल नीर समान। देता हमें जीवन जीने का ज्ञान ।
हिन्दी भाषा है जनमानस की , जो दिल सबका जोड़ती है। हिन्दी भाषा है जनमानस की , जो दिल सबका जोड़ती है।
कायर नहीं कहलाऊंगा मैं तूफान समझ पाऊंगा।। कायर नहीं कहलाऊंगा मैं तूफान समझ पाऊंगा।।
बचपन खोकर जवानी पायी यौवन छूटा तो प्रौढ़ता आयी बचपन खोकर जवानी पायी यौवन छूटा तो प्रौढ़ता आयी
मन रूपी नाव पर होकर सवार सबको जाना है भवसागर पार। मन रूपी नाव पर होकर सवार सबको जाना है भवसागर पार।
कभी चूक जाऊँ, तो हिम्मत सहेजती हूँ। इंसान हूँ, इंसान ही रहना चाहती हूँ। कभी चूक जाऊँ, तो हिम्मत सहेजती हूँ। इंसान हूँ, इंसान ही रहना चाहती हूँ।
नाज़ है मुझे भारत की भूमि पर, जहां पर मैंने जन्म लिया। नाज़ है मुझे भारत की भूमि पर, जहां पर मैंने जन्म लिया।
तुम्हें शत् शत् नमन् हैं करते, बलिदानी वीर सिपाही। तुम्हें शत् शत् नमन् हैं करते, बलिदानी वीर सिपाही।
उड़ना है हमें बिना पंख के, बिना सहारे उड़ना है। उड़ना है हमें बिना पंख के, बिना सहारे उड़ना है।
पाया जो था हमने क्या अपना पाए उसको ? खोया जो था हमने क्या जान पाए उसको ? पाया जो था हमने क्या अपना पाए उसको ? खोया जो था हमने क्या जान पाए उसको ?
राष्ट्र चेतना का वो प्रहरी जो राष्ट्र धर्म निभाता था राष्ट्र चेतना का वो प्रहरी जो राष्ट्र धर्म निभाता था
नारी तू,ममता की मूरत, जग में तेरे,रूप अनेक। बने चंडिका,बाला, बहना, बसता, माँ स्वरूप। नारी तू,ममता की मूरत, जग में तेरे,रूप अनेक। बने चंडिका,बाला, बहना, बसता...
नभ, धरा , पाताल लोक में हे ईश्वर, तेरा ही वास है । नभ, धरा , पाताल लोक में हे ईश्वर, तेरा ही वास है ।
स्वदेश का मान थे बापू, शान्ति के पुजारी थे बापू अहिंसा के प्रतीक थे बापू। स्वदेश का मान थे बापू, शान्ति के पुजारी थे बापू अहिंसा के प्रतीक थे बापू।
हिंदी, हिंदुस्तान की भाषा मातृभाषा ये महान। हिंदी, हिंदुस्तान की भाषा मातृभाषा ये महान।
विटप विना वीभत्स दशा थी। त्राहि-त्राहि सब दशों दिशा थी। विटप विना वीभत्स दशा थी। त्राहि-त्राहि सब दशों दिशा थी।
जब पूछे जाते हैं प्रश्न टूटती हैं धारणाएं बनते हैं मार्ग। जब पूछे जाते हैं प्रश्न टूटती हैं धारणाएं बनते हैं मार्ग।
जीवन की हर घड़ी में साथ निभाया रहे साथ खड़े हमारे। जीवन की हर घड़ी में साथ निभाया रहे साथ खड़े हमारे।
अंधेरी रात में चीरता हुआ अंधेरे को चला जा रहा था मैं. अंधेरी रात में चीरता हुआ अंधेरे को चला जा रहा था मैं.