माँ
माँ

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माँ से प्यारा कोई शब्द नहीं
माँ का स्पर्श
सारे अहसास से बड़ा,
दुख दर्द में
माँ का दुलार,
प्यारी सी झिड़की और
ढेर सारा प्यार।
माँ कबीर की साखी है
तुलसी की चौपाई है
मीरा की पदावली है
माँ गंगा है
माँ चांदनी है
माँ का प्रेम निश्छल है
माँ का स्नेह पावन है
माँ की लोरी और
ममता भरा दुलार
आंचल का झूला
सावन को भूला
माँ के हाथों का स्पर्श
सारे जग से प्यारा अहसास।
माँ ममता का सागर
करती नव जीवन संचार
है ईश्वर का आभार
इसका न कोई पार।
माँ से प्यारा कोई शब्द नहीं
माँ से प्यारा कोई शब्द नहीं।