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माँ

माँ

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आज शाम उसे सच्चाई के तराज़ू पे रिश्तों को तोलते देखा है

उसी के सच-झूठ को खुद में टटोलते देखा है

और

जो भाग आते है बात बात पे लड़ के घरो से बाहर

उनको भी मुसीबत में बस कुदरते माँ बोलते देखा है


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