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SANJUKTA MAHAPATRA

Abstract

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SANJUKTA MAHAPATRA

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माँ

माँ

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माँ मेरी माँ तु कितनी प्यारी है

माँ मेरी माँ सब रिश्तों से तू न्यारी है

तुने मुझे उँगली पकडकर चलना सिखाया है

जिंदगी की मुश्किल राहों में सही दिशा दिखाया है।


माँ मेरी माँ , तु खुद भुखी प्यासी फिर भी हमें खिलाया है

खुद दुःख कि आग में तप कर हमें हसाया है

मन को खुश कर देती तेरी मीठी बातें

तेरे आगे तुच्छ है सब रिश्ते नाते।


माँ मेरी माँ , तेरी ममता में सागर सी गहराई है

तेरे प्यार में आकाश सी उंचाई है

तेरा बलिदान भगवान से भी बढकर है

तेरी गोद फुलों कि सेज से भी कोमल है।


माँ मेरी माँ, तेरी सूरत प्रकृति कि

मनोरम दृश्य से भी सुन्दर

तेरी तन कि खुसबु चन्दन स भी शीतल है

तेरी आँचल बरगद कि छाया से भी शीतल है


तेरा लाड़-प्यार स्वर्ग से भी बेहतर है

इसिलिए मेरे मन मेँ तेरे बाद हि आता है भगवान

क्युँ कि तुझे जानकर ही मैंने जानी है उसकी शान

माँ मेरी माँ, तू है सबसे न्यारी सबसे बढ़कर

तू है सबसे प्यारी सबसे सुन्दर।


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