मां शुन्य नहीं शिखर है
मां शुन्य नहीं शिखर है
मां
शब्द
नहीं
अहसास
है।
मां
अविश्वास
नहीं
विश्वास
है।
मां
अज्ञानता
नहीं
ज्ञान
का
भंडार
हैं।
मां
सिर्फ
प्रेम
नहीं
प्रेम
की
परकाष्ठता
है
मां
जीवन
हीं
नहीं
जीवन
की
संरचना
का
सूत्रधार
है
मां
शुन्य
नहीं
शिखर
है
क्योंकि
मां
मां
है।