लॉक डाउन
लॉक डाउन


बाहर कोलाहल
कुछ,
कम सा है I
वातावरण में
कुछ,
भारीपन सा है I
पेड़ों पर
ज्यादा हैं पक्षी
और उनका मधुर गान
किन्तु,
मनुज
कुछ
घर के भीतर सा है I
चाह थी
जिसे शान्ति की
उसे
वो मिली तो सही
किन्तु,
सुकून पहले से
कहीं कम सा है I
वो शोरगुल
जिसे मानव
सह ना सका
वो
उसे आज कुछ
अधिक प्रिय सा है I
भागती दौड़ती
ज़िन्दगी से थका
मनुष्य
आज बैठने से
कुछ
अधिक थका सा है I
हर काम में की
जल्दबाज़ी
पर आज उसे
कुछ
सब्र सा है I
बिना पर्यटन पर्याय के
अपने ही शहर में
घूमने को
वह आज
कुछ
उतावला सा है I
है ये मानव की करतूत
या
ईश की रचना
मुझे
कुछ अभी
कौतूहल सा है I
अधिक निर्मल है
गंगा का जल
और
साफ़ है आसमान
किन्तु
इसमें भी मानव
कुछ
असहज सा है I
शांत है हर कोना
और
एकांत है सबके पास
किन्तु,
कोलाहल की कमी
आज ये कुछ
विषम सा है I