वास्तविक दुनिया को देख कर मेरी लेखनी स्वयं चलने लगती है ।
और हम स्वयं एक अंश जो बनाता है हमें अहम् ब्रह्मास्मि। और हम स्वयं एक अंश जो बनाता है हमें अहम् ब्रह्मास्मि।
कृष्ण को अगर आना भी होगा अर्जुन को गांडीव उठाना होगा। कृष्ण को अगर आना भी होगा अर्जुन को गांडीव उठाना होगा।
बाहर कोलाहल कुछ, कम सा है I बाहर कोलाहल कुछ, कम सा है I