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Abhishek Kumar

Abstract

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Abhishek Kumar

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लोग कहते हैं कि मेरा भारत

लोग कहते हैं कि मेरा भारत

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भड़क रही आग हिंसा की

सुलग रही दर्द की चिंगारी है

सबके दिलों में बस

लूट लेने की महामारी है


हो रहा बलात्कार चौराहों पर

सब बने धन के पुजारी हैं

लोग कहते हैं कि मेरा भारत

गांधी का अवतारी है।


राजा के भी कानों पर

लालच की पहरेदारी है

जनता के घरों को

दर्द गरीबी ने झंझकारी है


बाजारों में महंगाई की

गूंज रही किलकारी है

लोग कहते हैं कि मेरा देश

अहिंसा का पुजारी है


न्याय में आंखों पर

पहले ही पटा डारी है

अब तो मुंह कानों की भी

चल रही तैयारी है


अब तो पैसों की हीं

सुनी जा रही गुहारी है

लोग कहते हैं कि मेरा भारत

गांधी का अवतारी है


बहन बेटियां घरों में

बनीं बैठी बेचारी हैं

आजाद घूम रहे देश में

बहनों के बलात्कारी हैं


जनता ने भी अपने मुंह पर

चुप्पी की ताला मारी है

लोग कहते हैं कि मेरा भारत

अहिंसा का पुजारी है


सरकारी खजानों से

नेताओं की भरी अलमारी है

शहीदों का परिवार आज

सड़क पर बना भिखारी है


देश का शासन बना बैठा

अब तो औपचारी है

लोग कहते हैं कि मेरा भारत

गांधी का अवतारी तारी है


देवी देवताओं के नाम पर

हो रही धन की व्यापारी है

लोगों को आपस में लड़ाकर

नेताओं ने बाजी मारी है


विरोध में सच बोलने वाला

बना आज गुनाहगारी है

लोग कहते हैं कि मेरा भारत

अहिंसा का पुजारी है


शिक्षकों ने विद्यालयों में

जमकर नींद मारी है

बच्चों को बनाया जा रहा


देश का सुगंधित फुलवारी है

सरकार भी अपने घर पर

खा रही पूरी तरकारी है

लोग कहते हैं कि मेरा भारत

गांधी का अवतारी है।


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