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Aditi Gupta

Abstract

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Aditi Gupta

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लम्हा

लम्हा

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लम्हों में है जिंदगी या जिंदगी ही एक लम्हा है,

चाहतें खुल के जीने की हैं, ख्वाहिशें हर लम्हा हैं,

बेपरवाह जीना है, बांधे हर अपना है।

लम्हों के दामन में भावों का मेला है,

मेले में शामिल मदारी का एक झमेला है।

मदारी के इशारे पर चलें तो अच्छा, ना चलें तो बुरा

भला लम्हों को भी कोई तोला है,

लम्हा तो बस एक लम्हा है।

लम्हों में है जिंदगी या जिंदगी ही एक लम्हा है,

लम्हों में जीवन, लम्हों में अंत

लम्हों में कैद, यादें अनंत।।

                   


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