लगन
लगन
तन्हाइयों में जीना सिखा रहे हैं वो हमें,
अपनों से जुदा होकर जीना नहीं,
मरना सिखा रहे हैं वह हमें।
कहते हैं एक दिन जुदा सबसे होना ही है,
फिर लगन किसी से लगा कर करना क्या है?
लगन लगानी है तो खुदा से लगाओ,
ताकि अपनों से हो जुदा जब, उसके पास जाओ
तो वह तुम्हें दोज़ख में न भेजे
वापस किसी की कोख में ना भेजें
रिश्तों के मकडजाल से निकालकर,
रख ले अपने ही पास,
बनाकर अपना दास.
