क्या वो भी मेरे वही दोस्त थे..!?
क्या वो भी मेरे वही दोस्त थे..!?
कितनी बड़ी गलतफहमी थी न मुझे,
कुछ परायों को अपना समझ बैठी थी..!
क्या-क्या बताऊं मैं तुझे?
मैं उन्हीं लोगों पर विश्वास कर बैठी थी l
कहने को तो वो मेरे बेस्ट फ्रेंड्स थे,
पर क्या उन्हें मेरी कदर थी?
क्या वो भी मुझे उतना ही चाहते थे,
जितना करती मैं उनका सब्र थी?
शायद मैं ही गलत थी...
मैंने इस बात को आज से पहले क्यों नहीं सोचा था..!?
मुझे अभी भी क्यों इतनी है पड़ी,
अब तो वो हो गया जो होना था l
कुछ दोस्त भगवान ने छोड़े तो अब भी थे,
और मैं फिर से उन्हीं को दिल दे बैठी थी..!
रोज़ हम अपनी सारी बातें एक दूसरे को बताते थे,
और मैं भी उसके सारे सीक्रेट जानती थी..!
माना की इतने धक्के में खा चुकी थी,
पर ये मेरा पागल दिल फिर से उससे लग गया l
अब और किसी के बारे में मैं नहीं सोचती थी,
लग रहा था दिल ये मेरा फिर से संभल गया l
फिर से, एक वक्त आया,
जब उसने बात करना छोड़ दिया..!!
पर, मुझ पागल को तब भी समझ न आया,
मैंने उस पर ही अपना गुस्सा निकल दिया..ll
शायद इतना तो वो जनता थी मुझे,
कि इतनी जल्दी छोड़ के नहीं जाएगी l
फिर से बताएं मैंने बातें उसे,
पर हमारी पहले जैसी दोस्ती अब वापस नहीं आएगी..!
अब वो बातें सुनती जरूर थी,
पर उसे मुझे अपनी बातें बताना छोड़ दिया l
और मेरे जैसी पागल तब भी ना समझी,
मुझे लगा वो बिजी होगी इसलिए ध्यान न दिया l
घंटो - घंटो बैठ कर उससे बातें की मैंने,
पर मैं उसके बारे में अब कम जानती थी l
उसने अब मेरे सारे राज जाने,
पर उसके नए दोस्त उसके लिए काफी..!
एक दिन हसती-हसती गई मैं उसके पास,
बतानी थी उन्हें कुछ बातें खास l
अब थी मेरे संदर बस एक ही आस
काश! काश! वो मेरी पुकार सुनते ही आ जाए मेरे पास
मैंने ज़ोर से उसे आवाज़ लगाई,
पर वो तो अपने नए दोस्तों के साथ बिजी थी l
मैंने खुद को समझाया और मैं उसके पास गई,
पर तब भी उसे मैं न दिखी..!
मैने फिर उसे कुछ बोला,
तब शायद वो होश में आई l
पर तब भी उसने अपना मुह ना खोला,
मैंने अपनी पूरी बात बताई..!
फिर जो हुआ, मैंने वो सोचा ना था,
उसने गुस्से में पलटकर कहा, "हां, तो क्या!?"
मैं--मैं एक मिनट तक खडी रही,
ये सोचती कि क्या मैंथर्ड व्हाइलिंग कर रही..!?
जवाब जो मुझे मिला, वो था हां,
अब इस नासमझ की अकाल से पत्थर हटा l
इतने दिनो से वो ईशारे कर रही थी,
पर इसे तो थी बस अपनी ही परवाह l
आज मैं समझ गई,
के खुदा मुझे खुश नहीं देख सकता l
एक खुशी जो मुझे थी मिली,
उसे भी मुझसे छीन कर ले गया l
शायद इसमें मेरी ही गलती है,
जो सब मुझे ही छोड़ कर जा रहे हैं l
बाकी सब तो बस अपने नए दोस्तों के साथ वक्त बिता रहे हैं,
उनको क्या मतलब है कि वो किसी और का दिल तोड़ कर जा रहे हैं!?
कोई ना... धीरे-धीरे आदत लग जाएगी,
फिर शायद कोई दोस्त मेरा दिल ना दुख पायेगी l
पर क्या ये नन्ही-सी जान उन पुराने दोस्तों को कभी भुला पाएगी ..?
क्या उनसे गुस्सा या नाराज रह पाएगी?
बस... यही तो कामजोरी है मेरी,
कोई बात करता है तो उसकी सारी गलतियां भुला देती हूं l
पर नहीं... इसमें कहां है गलती तेरी..!?
मैं तो रोज न जाने कितने धोखे खाती हूं !!
