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Chaitanya Kadam

Abstract Tragedy

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Chaitanya Kadam

Abstract Tragedy

क्या करुँ?

क्या करुँ?

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मैंने ताला लगाना छोड़ दिया,

मैंने भरोसा करना सीख लिया।

मैंने अकेले रहना छोड़ दिया,

मैंने दोस्त बनाना सीख लिया।

मैंने किताबें पढ़ना छोड़ दिया,

मैंने व्हॉट्सअप पे चॅटिंग करना सीख लिया।

दिन बीते, रातें गुजरी।

मैने सपने बनाना छोड़ दिया,

मैने सपने देखना सीख लिया।

मैंने सच बोलना छोड़ दिया

मैंने झूठ बोलना सीख लिया।

एक दिन उसने मोड़ दी अपनी राहें बिना बताए,

फिर भी में अकेले चलता रहा उम्मीद लिए,

शायद फ़िर से वो मोड़ मेरे रास्ते से मिल जाए।

महिने बीते,

साल गुजरे।

मैंने ताला फिर से लगा लिया,

वो भरोसा तोड़ना सीख गया।

(अब फिर से दस्तक हुई है....क्या करुँ?)



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