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Chaitanya Kadam

Others

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Chaitanya Kadam

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मन की बात

मन की बात

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ना तुम हिंदू हो ना मुसलमान हो,

सबसे पहले तुम इन्सान हो।


भला ये कौन है जो इन्सानों को इन्सानों

में ही बाँट रहे हैं।

अपने सच्चाई को छुपाने के लिए अपने

कुर्सी को ही चाट रहे हैं।


बँटवा दिया है इंसानियत को किसी

कानून की गोली से, 

यही गोली चीरे जा रही मेरे वतन के

सीने से।


राहें बना दी है सौ, जो गुमराह कर

रही सालों से,

भगवान को भी डर लग रहा होगा

उनके इन भक्तों से।


बात जो निकले भक्तों की, तो ठप्पे

लगते देशद्रोही के,

तुम भी कर दो भक्ति किस दिन,

समझो माफ़ी तुम्हें मिलने हैं।


जितने सपने ऊँचे थे इनके, भूल गए

उतनी गहरी खाई थी,

जो वो हल्का सा एक दिन चूक गये,

तो भक्तों की सफाई थी।


समझने पड़ेगी यहाँ पहले क्रोनोलौजी,

फिर भाड़ में जाए इकोनोमी।


कर लो आँखें बंद और दे दो हमारे साथ ,

वरना हम तो कर ही रहे हैं अपने मन की बात।


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