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Pushpendra Pathak

Abstract

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Pushpendra Pathak

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कवि का बयान

कवि का बयान

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बादलों की 

बारिशों की


सांसों की

नदियों की


पहाड़ों की 

गर्तों की


आत्माओं को जकड़कर

आवाज़ों को पकड़कर

शब्दों में कैद

नहीं कर सकता मैं

नहीं कर सकता मैं


इसलिए घर कहूं कभी कि मैं कवि हूं

तो मजाक समझना !


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