कुछ तो लोग कहेंगे ....
कुछ तो लोग कहेंगे ....
कुछ तो लोग कहेंगे
लोगो का काम हैं कहना,
क्यों न तुम सिर्फ वो करो
जिसमें तुम्हें खुश हैं रहना।
क्या कहेंगे लोग
न उस पर डालो ज़ोर,
जहा तुम्हें ख़ुशी मिले
बड़ो तुम उस ही ओर।
लोगो के कहने से न तुम कुछ बनते हो न बन सकोगे,
खुद पर हो विश्वास, तो सबको करारा जवाब दे सकोगे।
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगो का काम हैं कहना
दुसरो की बातों में आकर, स्वाभिमान कभी न खोन।
कभी लफ़्ज़ों की बाते आँखे बयान कर जाती हैं,
कभी ध्यान से सुनो तो
खामोशियाँ भी बहुत कुछ कह जाती हैं ।
उन मौन भरी चीत्कारों में अपना स्वर पहचानो
चुप्पी को कब चुप करना हे, इतना तो तुम जानो !
सारी उम्र निकल जाती हैं यह सोचने में
कि वह कुछ लोग क्या कहेंगे,
लोगो के पास बाते हैं पर
अपने लक्ष्य की पूर्ति हम करेंगे।
अगर हम बातों में आएंगे,
तो जीवन का स्वर लैय खो देंगे
अपने दिल की न सुनी तो,
अंदर ही अंदर खूटेंगे।
लोगों की मत सुनो
लोगों की सोच हर वक्त बदलती रहती हैं,
दुसरो को जो कहना के कहने दो
पर तुम गुलाब के तरह खिलते रहो।
कुछ तो लोग कहेंगे,
लोगों का काम हे कहना
सबको अनसुना करो
क्यूंकि तुम्हे खुश हैं रहना,
क्यूंकि तुम्हे खुश हैं रहना।