कुछ अपनी भी कहा करो
कुछ अपनी भी कहा करो
कुछ अपनी भी कहा करो
कुछ मेरी भी तो सुना करो
तय करने में जिन को कम हो दूरियाँ
ऐसे रास्ते तुम चुना करो
कभी मुश्किल ए हालात में
जब जुबां की अहमियत ना महसूस हो
तन्हाइयों के उस पल बैठ के
खामोशियों की जुबां बना करो
कुछ अपनी भी कहा करो
कुछ मेरी भी तो सुना करो
तय करने में जिन को कम हो दूरियाँ
ऐसे रास्ते तुम चुना करो
कई वक्त वो भी आएँगे
बातों के दौर थम जाएंगे
ऐसी मुश्किलों के दौर में
आंखों का आईना बना करो
कुछ अपनी भी कहा करो
कुछ मेरी भी तो सुना करो
तय करने में जिनको कम हो दूरियाँ
ऐसे रास्ते तुम चुना करो
वक्त की साजिशें कभी
ऐसे दौर भी ले आएँगी
मुलाकात के दौर तो दूर हैं
पहचान से भी कतराएंगी
दिल की धड़कनें तुम धाम के
मन्नतों की चादरें बुना करो
कुछ अपनी भी कहा करो
कुछ मेरी भी तो सुना करो
तय करने में जिन को कम हो दूरियाँ
ऐसे रास्ते तुम चुना करो
