कोरोना
कोरोना
गले मिलने वाले मित्र, आज हाथ मिलाने से कतरा रहे,
पास बैठ कर घंटों बातें करने वाले, दूर से ही सब फरमा रहे !
बेफिक्र होकर बाहर जाने वाले, आज घर के अंदर भी घबरा रहे,
हर रोग का इलाज बताने वाले, आज हलकी सी जुकाम से घबरा रहे !!
वो कहते है ना कि, बोये पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाये,
जब प्रकृति के साथ इतना खेला है, तो अब किस बात के लिए पछताए !
ये जो आज हमें पड़ी है, इस कोरोना कि मार,
और कुछ भी नहीं, ये प्रकृति का ही है पलटवार !!
इंसान को इंसान से, परिवार को परिवार से,
दूर कर दिए लोगों को, खुद के घर की दीवार से !
खैर, जो आज आया है, कल वो बीत जायेगा,
हर महामारी की तरह, ये भी मात खायेगा !!
सावधानी और सुरक्षा, इससे लड़ने के है मंत्र,
इसका पालन ना करने वाले, कर रहे खुद से ही सडयंत्र !
मास्क पहन बाहर निकले, साफ़ सफाई का रखे ध्यान,
जब तक वैक्सीन आये ना, इस बीमारी का बस यही है समाधान !!