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Mahavir Uttranchali

Abstract

3.4  

Mahavir Uttranchali

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कोरोना माई के प्रताप पर

कोरोना माई के प्रताप पर

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405


(1.) कोरोना के ख़ौफ़ से
कोरोना के ख़ौफ़ से, जीव-जन्तु भयभीत
चीन की खुराफ़ात से, उत्पन्न मृत्यु गीत
उत्पन्न मृत्यु गीत, कौन उसको समझाये
उसके नए प्रयोग, विश्व पे विपदा लाये
महावीर कविराय, मृत्यु का क्या अब रोना
कुदरत से खिलवाड़, वायरस है कोरोना

(2.) भारतीय संस्कार
कोरोना सीखा दिया, विश्व को नमस्कार
अनचाहे ही घुल गए, भारतीय संस्कार
भारतीय संस्कार, बन रहे शाकाहारी
एक दिन बिना मांस, रहे ना जो नर-नारी
महावीर कविराय, महामारी फिर हो ना
करो शवों का दाह, जले उसमें कोरोना

(3.) रोग बड़ा विकराल
कोरोना के तेज़ से, बचा न कोई शख़्स
हर किसी के दिमाग़ में, कोरोना का अक्स
कोरोना का अक्स, जगत में सर्वत्र छाया
यह चीनी षड्यंत्र, काट कोई ना पाया
महावीर कविराय, रोज़ का है अब रोना
रोग बड़ा विकराल, नाम जिसका कोरोना

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