कोरोना का सच
कोरोना का सच
दुश्मन गुमनाम नहीं क़ोई ईमान है
चहु जोर जोखिम खतरे का रोना कोरोना भान है
किस तरह कैसे करेगा वार दुनिया अनजान है
हर तरफ युद्ध का घोष, नहीं कोई हथियार है।
छोटे से विषाणु ने विश्व कि डाली सांसत में जान है
भारत है विश्व गुरु नरेंद्र कृष्ण कलयुग में सारथी महान है
सूर्योदय से संध्या दिन और रात
करता पाञ्चजन्य का शंख नाथ है।
चाहता है सारथी खो पाये एक भी माँ भारती का संतान
प्राण पण दृढ़ प्रतिज्ञ इस महा युद्ध में
सारथी मानवता की लाज है
सारथी का स्वार्थ बस इतना सुरक्षित रहे
भारत का बच्चा ,बृद्ध, नौजवान रहे।
करता है दिन रात सावधान दिल से दिल का रिश्ता हो
भौतिकता कि नैतिकता थोड़ी दुरी बानी रहे
नाक ना कटे नाक ढक रखो ना गलबहियां
ना हाथ मिलाईयां हाथ स्वक्ष और साफ रहे।
गली, मोहल्ले, सड़कों पर ना भीड़ कोलाहल हो
घर से ना निकालो जब तक कोईं जरुरी काम रहे
घर, बाहर, जहाँ ,तहाँ कवच यही
हथियार भाग जाएगा दुम दबाकर दुश्मन अनजान
कोरोना का दम घुटेगा जाएगा हार
यह युद्ध है भयंकर दुनिया और
भारत को मत बनने दो श्मशान
कहीं बांद्रा कहीं आनद बिहार
सूरत या तबलीगी कि जमात
क्या तुम इंसान नहीं खुद से तुमको
प्यार नहीं तुम्हारा घर परिवार नहीं
किस छद्म छलावे के हो गए तुम शिकार
खाकी का हाथ काटते पथ्थर मारते करते हो
शर्मशार तेरे लिए जीता मरता है छोड़ अपना घर परिवार
सेविकाओं पर थूकते डॉक्टर से करते दुर्व्यवहार
ये सब तेरे भाई बंधू रिश्ते नातो के व्यवहार
शुक्र करों उस मालिक का इस जंग में
खाकी वर्दी पहला परवर्दी गार
कभी डांट से कभी प्यार से जिंदगी को उजियार
डॉक्टर और नर्स हॉस्पिटस्ल का स्टाफ दूसरे भगवान
एक एक की जान बचाने में कभी कभी देते अपनी जान गवांय
आओ नमन करे इनका हम सब
भारत बासी इनका मान सम्मान करे
इनके भारत वासी होने का हम
भाग्य भगवान् का धन्यवाद करे
दुश्मन की तो चाहत यही ऐसे ही
लड़ते लड़ते दे दो उसको राह
देखो उनको बनगए जो विषाणु युद्ध का काल
अपने भी नहीं पूछते लावारिस सी लाश
जागो भारत वासी साहस और संकल्पों में
युद्ध सारथी के सयंम रथ में त्याग सभी द्वेष दम्भ
राजनीती छद्म कर्तव्यों के आवाहन में।