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Madhavi Ashra

Abstract

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Madhavi Ashra

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कन्हैया ने पूछा ब्रजवालो से

कन्हैया ने पूछा ब्रजवालो से

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कन्हैया ने पूछा ब्रजवालों से एक सवाल 

मीठी-मीठी बानी में बोले ब्रजकुमार

गोपीयों ने मुझसे प्रीत क्यों लगाई

मैं तो हूँ मन का राजा

कभी इस ओर तो

कभी उस ओर भटकता हूँ

कोई ठिकाना नहीं है मेरा 

बोलो ना अब बंसी कैसे बजाऊँ

कन्हैया ने पूछा ब्रजवालों से एक सवाल 

सुर है तेरा, तेरी ही सरगम बजती है

फिर भी क्यों राधा पागल होती है

गोपियाँ मुझको गली-गली ढूंढती हैं

बावरी होती हैं ब्रज गोपना

बोलो ना अब सुर कैसे छेडूं

कन्हैया ने पूछा ब्रजवालों से एक सवाल

उद्धव ने जा कर गोपीयों को समझाया 

वैराग्य का ज्ञान उनको दिया

प्रेम जोगिनी गोपीयों ने बोला

हम तो है कृष्ण की प्रेम दीवानी 

हम तो नाचते हैं जोगन बन के

कन्हैया ने पूछा ब्रजवालों से एक सवाल


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