STORYMIRROR

Monica Prabhakar

Abstract

4  

Monica Prabhakar

Abstract

ख्वाहिशें

ख्वाहिशें

1 min
310

दो तरह की -

एक जो पूरी हो जाए

एक जो अधूरी रह जाए


एक जो करें परेशान

एक जो करें हैरान


एक जो आजमाए

एक जो समझाए


एक जो मिले तो तकदीर

एक जो बांधे तो ज़ंजीर


एक जो संभाल ले

एक जो बिख्रेर दे


एक जो पा ले तो फलक

एक जो खो दे तो कसक


उफ्फ ये ख्वाहिशें

इसके बिना न चलता ये संसार

इससे ही होता हैं दुनिया का कारोबार।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Monica Prabhakar

Similar hindi poem from Abstract