ख़ुशी का रंग
ख़ुशी का रंग
फागुविज़ा सुबह की ओस है
पतझड़ में, मंद-मंद हवा के कोमल स्पर्श में
खुश रंगों के साथ विमान पर
आओ और नाचो, जंगली औरत
मेरे मन के मंदिर में, मेरे आँगन में।
पंचरंगी होली अबीर के अंदाज में
मेरे मन में खुशी का रंग भर रहा है
भक्ति के रस से वेदी सजी हुई है
मेरे आंसू मेरी आँखों में हैं
जब तक चाहत है तुम आओगे
घंटाघर के नीचे
खोई हुई पनीर की तरह रेत
मैं इसे मन में इतनी खुशी के साथ लूंगा।
बरसात के मौसम के बाद
और सौंफ के रंग में रंगा हुआ
फॉगुर पर्स सजाकर
सारे दुःख भूल जायेंगे
यही कहा जाएगा कि खुशियों का रंग
यादों से भरा होता है
तुम मेरे हृदय की ज्वाला को जानते हो
मैं आपके चरणों में हो जाऊँगा।
