खुद की तलाश
खुद की तलाश


खुद की तलाश में निकला हूं
तो अंजाम भी सही होगा।
चलूंगा, गिरूंगा, लड़खड़ाऊंगा कई बार
मगर हौसला ना हारूंगा।
मिल जाएगा सफ़र का मंजिल या
सबक भी नया होगा।
खिलूंगा कांटों भरी गुलाब की तरह
जिसका महक भी यहीं कहीं होगा ।
सुनूंगा कई ताने ठहाके
पर ख्वाबों का तानाबाना भी बूनूंगा
अरे इस कदर चलता रहूंगा
और चलने में माहिर हो जाऊंगा।
हां खुद की तलाश में निकला हूं तो
अंजाम भी सही होगा।
चलूंगा ,गिरूंगा ,लड़खड़ाऊंगा कई बार
मगर हौसला ना हारूंगा।