खामोशियाँ
खामोशियाँ
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पहले इंसान चिल्ला चिल्ला के थक जाता है
फिर भी उसकी कोई नही सुनता।
फिर वो इंसान उस मोड़ पे आके ठहरता है कि
उसकी खामोशी दुनिया के लिए शोर बन जाती है।
पहले इंसान चिल्ला चिल्ला के थक जाता है
फिर भी उसकी कोई नही सुनता।
फिर वो इंसान उस मोड़ पे आके ठहरता है कि
उसकी खामोशी दुनिया के लिए शोर बन जाती है।