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Arjun Sutar

Inspirational

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Arjun Sutar

Inspirational

कौन हूँ मैं ?

कौन हूँ मैं ?

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कौन हूँ मैं?" यह सवाल बार-बार मन में आता है,

ना जाने यह सवाल क्यों मुझे बार-बार सताता है।

ना मेरी अपनी कोई पहचान है, ना ही मेरा कोई नाम है,

काग़ज़ पर जो नाम लिखा है, वह तो बस घरवालों का सम्मान है।

मुझे ख़ुद नहीं पता कि मेरी असली पहचान क्या है।


कॉलेज की डिग्री तो महज़ काग़ज़ का टुकड़ा है,

काम मिलने का बस एक ज़रिया है।

पैसे कमाने का एक तरीक़ा है,

कुछ लोगों के लिए मैं आज भी महज़ एक मुलाज़िम हूँ,

और मुझे आज तक पता नहीं, मैं आख़िर कौन हूँ।


माँ-बाप के लिए तो मैं कुदरत का करिश्मा हूँ,

भगवान का दिया हुआ एक नायाब तोहफ़ा हूँ।

घरवालों के लिए उनका बड़ा सहारा हूँ,

बेटे के लिए मैं एक शक्तिमान हूँ।

और उसके लिए मैं प्यार का सागर हूँ,

मगर फिर भी... मुझे ख़ुद नहीं पता, मैं कौन हूँ।


दिल तो चाहता है, निकल पड़ूँ उन पहाड़ियों में,

पर्वत की वादियों में और खुले आकाश की छांव में,

शांत नदी के किनारे पार, समंदर की लहरों में,

कहीं एकांत की खोज में,

जहाँ बस मैं और मेरी खामोशी साथ में।

निकल पड़ूँ मैं अपनी तलाश में,

सपनों को सच करने की आस में।


दिल तो बस इतना चाहता है, अपनी पहचान बनाऊँ,

अपना एक बड़ा-सा नाम कमाऊँ।

कुछ ऐसा कर जाऊँ कि ज़माना मुझे मेरे काम से पहचाने,

जिन्होंने अनसुना किया था, वह भी मुझे जाने।


राह में मुश्किलें तो बहुत आएँगी,

लेकिन एक न एक दिन राह तो मिल जाएगी।

मुझे यक़ीन है, एक दिन सूरज मेरे माथे पर ज़रूर चमकेगा,

और एक दिन मेरा नाम भी इस दुनिया में गूंजेगा।



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