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शायद उसके इशारे को मैं समझ नहीं पाया, उसकी मुस्कान को कभी पढ़ ही नहीं पाया। शायद उसके इशारे को मैं समझ नहीं पाया, उसकी मुस्कान को कभी पढ़ ही नहीं पाया।
दिल तो बस इतना चाहता है, अपनी पहचान बनाऊँ, दिल तो बस इतना चाहता है, अपनी पहचान बनाऊँ,