जुस्तजू
जुस्तजू
इस छोटी सी उम्र में बहुत उदास हो गए हम
मुकम्मल जिंदगी की तलाश में हतास हो गए हम
ये जो तकदीर के पन्ने पलट रहे हैं
मोहलत मिली पर समेट न सके हम
इस छोटी सी उम्र में बहुत उदास हो गए हम
वक़्त की रफ्तार में ऐसी नजाकत थी कि
अब अपने साए से भी बेजार हो गए हम
ना जाने कसूर किसका पर रोते चले गए हम
रंजिश-ए-जिंदगी में खुद को खोते चले गए हम
इस छोटी सी उम्र में बहुत उदास हो गए हम