I am Gulapsa Khatoon I did my MA in Hindi and poetry is my passion.
वक़्त की रफ्तार में ऐसी नजाकत थी कि अब अपने साए से भी बेजार हो गए हम ना जाने कसूर किसका पर रोत... वक़्त की रफ्तार में ऐसी नजाकत थी कि अब अपने साए से भी बेजार हो गए हम ना जा...
माटी सी है काया मेरी है माटी में जाना। माटी सी है काया मेरी है माटी में जाना।