जिंदगी की साँझ
जिंदगी की साँझ
जिंदगी की साँझ है बड़ी उदास,
ये भी एक वक़्त है
पार कर जाना ही जीवन का सत्य है,
सुबह के उजाले मे किलकारियों से
मन हो जाता था प्रफुल्लित l
हर सांस में जोश था उमंग था
और साथियों का संग था,
अब क्या एक मुस्कराहट
दिख जाए तो मन कर लेता है विश्वास
सुबह तो बीत गयी अब आया दोपहर,
इस पहर में हमने देखा
जिंदगी का जद्दोजहद,
इस पहर में साँसों ने
बाँधा एक से एक और को l
अब आई गोधूलि बेला अब हो गया मैं अकेला,
अब लगा मन शांत होने क्यों न हो
कितने अपने छोड़ चले हो गए बेगाने l
एक और सदी
एक और सवेरा पर उसके पहले था
जिंदगी का घनघोर अँधेरा।