जिंदगी की रफ्तार।
जिंदगी की रफ्तार।
जिंदगी की रफ़्तार थोड़ी थम सी गई है।
आंखों में एक नमी सी है।
गलियों में एक सन्नाटा सा छाया है।
ना बच्चों की खिलखिलाट है।
ना सपनों का मेला है।
आज सडके,गलियां सुनसान है।
मगर ए दिल तू थोड़ा सा धीरज धर,
यह वक्त है गुजर जाएगा।
दर्द से सिमटे चेहरों पे फिर से
मुस्कुराहट ओ का सिलसिला होगा।
जिंदगी फिर से खिल उठेगी,
बहारों का सामा होगा,
अपनों का आशिया होगा।
गलियां चौबारे फिर से खिलखिला उठेगी।
सब्र रख ए इम्तिहान का वक्त जल्द ही गुजर जाएगा।
ख्वाहिशों का सिलसिला फिर से चल पड़ेगा।
आखिर उम्मीद पर ही तो यह दुनिया खड़ी है।
यह जिंदगी की रफ्तार फिर से चल पड़ेगी
फिर से चल पड़ेगी।